Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता -मोटूराम - बालस्वरूप राही

मोटूराम / बालस्वरूप राही


चले सैर को मोतूरम
देखा एक लटकता आम।
झटपट चढ़ने लगे पेड़ पर
लड़ा ततैया, गिरे धड़ाम।

   0
0 Comments